सामंत सारंग

सामंत सारंग Raagparichay Wed, 16/02/2022 - 13:03

राग सामंत सारंग काफी थाट जन्य माना गया है। आरोह में गंधार और धैवत तथा अवरोह में केवल गंधार स्वर वर्जित हैं। इसलिये इसकी जाति ओडव-षाडव है। ऋषभ वादी और पंचम संवादी माना जाता है। गायन समय मध्याह्न काल है। दोनों निषाद तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है।

आरोह– सा रे म प नि सां।

अवरोह– सां नि ध प म रे सा।

राग के अन्य नाम



from Raag https://ift.tt/lH4ab8z
via IFTTT

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोहनी